Sunday, March 7, 2010

कभी जली थी होलिका , अब जलता प्रहलाद ...आओ , रंगों के इस मोसम में... केवल रंगों में अपने चेहरे ना छुपायें... जो बेहतर हो इन्सान ( इंसानियत ) के लिए उसे भी कुछ अपनाएं... होली तो हैप्पी है ही , इंसानों को भी कुछ हैप्पी बनायें ...............

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